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हाइलाइट्स
नीतीश कुमार के फिर भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने के कयास.
राज्यसभा के उपसभाति हरिवंश से मीटिंग के बाद सियासी अटकलें.
लालू प्रसाद यादव ने नीतीश कुमार का मन बदलने की बात खारिज की.
पटना. बिहार की सियासत में तब से कयासबाजियों का दौर और तेज हो गया है जब से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर दिल्ली वापस लौटे हैं. चर्चा तेज होने के साथ राजनीतिक गलियारों में यही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ फिर एनडीए के पाले में जा सकते हैं? यही प्रश्न जब गुरुवार को पटना से दिल्ली पहुंचे राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव पूछा गया तो उन्होने कहा- नीतीश जी कहीं नहीं जा रहे हैं. धीरे-धीरे बीजेपी कमजोर हो रही और खत्म हो जाएगी. हालांकि, लालू यादव के दावे के बाद भी ये कयासबादी कम नहीं हो रही है और लगातार कहा जा रहा है कि बिहार की राजनीति में कभी भी ‘खेला’ हो सकता है, यानी नीतीश कुमार कभी भी पाला बदल सकते हैं.
दूसरी ओर जदयू की ओर से भी लगातार इस बात से इनकार किया जा रहा है कि किसी भी तरह की बातचीत बीजेपी से चल रही है. इस बीच चुनावी रणनीतिकार से सक्रिय राजनीति की राह पर बिहार में जन सुराज यात्रा पर चल रहे प्रशांत किशोर ने भी कहा है कि वर्तमान बिहार सरकार को लोकसभा चुनाव तक कोई खतरा नहीं है. लेकिन, कयासबाजियों और अटकलबाजियों का दौर तत्काल बिहार में थमता नजर नहीं आ रहा है. बहरहाल, इन कयासबाजियों के बीच हम जानते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या कारण हैं नीतीश कुमार के पलटी मारने की बातें चर्चा में हैं. आइये जानते हैं नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक यात्रा में कब-कब अपना पाला बदला है.
लालू से अलग हुई नीतीश की राह
वर्ष 1994 में नीतीश कुमार ने अपने पुराने सहयोगी लालू प्रसाद यादव का साथ छोड़ दिया था. तब नीतीश कुमार ने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ समता पार्टी का गठन किया था और वर्ष उनकी पार्टी ने 1995 के बिहार विधानसभा चुनाव भी लड़ा. हालांकि, उनकी पार्टी की बुरी हार हुई.
जॉर्ज-नीतीश ने बनाई समता पार्टी
इसके बाद वर्ष 1996 में समता पार्टी बीजेपी के साथ गई. बीजेपी और समता पार्टी का ये गठबंधन 17 सालों तक चला. इसी बीच वर्ष 2003 में समता पार्टी, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) बन गई. इसके बाद वर्ष 2005 में बिहार विधानसभा चुनाव में गठबंधन ने बड़ी जीत प्राप्त की. इसके बाद साल 2013 तक दोनों ने साथ में सरकार चलाई.
नरेन्द्र मोदी के नाम पर अलग हुए नीतीश
वर्ष 2013 में बीजेपी ने लोकसभा चुनाव 2014 के लिए जब नरेन्द्र मोदी को पीएम पद का उम्मीदवार घोषित किया तो नीतीश कुमार ने बीजेपी से 17 साल पुराना गठबंधन तोड़ दिया. तब राजद के सहयोग से सरकार चला रहे नीतीश कुमार की जदयू की लोकसभा चुनाव में करारी हार हुई. इसके बाद उन्होने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और जीतन राम मांझी को बिहार का मुख्यमंत्री बना दिया और वे बिहार विधानसभा चुनाव 2015 की तैयारी में जुट गए.
नीतीश को फिर भाया लालू प्रसाद का साथ
वर्ष 2014 के लोक सभा चुनाव में बीजेपी से नीतीश कुमार की जदयू की हार हुई. वर्ष 2015 में पुराने सहयोगी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में आरजेडी जेडीयू गठबंधन को जीत मिली. राजद को अधिक सीटें आईं बावजूद इसके नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने. इसी दौरान लालू यादव के छोटे बेटे तेजस्वी यादव पहली बार बिहार के उपमुख्यमंत्री बने.
नीतीश ने अचानक ही बदल लिया पाला
राजद-जदयू की महागठबंधन सरकार 20 महीने तक तो ठीक ठाक चली. लेकिन साल 2017 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अचानक ही त्यागपत्र दे दिया. तब विधानसभा में बीजेपी विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी हुआ करती थी. भाजपा ने मध्यावधि चुनाव से इंकार करते हुए नीतीश कुमार को समर्थन देने का निर्णय लिया और नीतीश कुमार फिर एक बार मुख्यमंत्री बन गए.
एनडीए छोड़ फिर महागठबंधन में गए नीतीश
इसके बाद वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा ने साथ चुनाव लड़ा. भाजपा इस चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनी, लेकिन इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने. हालांकि, वैचारिक आधार पर एक दूसरे दूरी होने की बात कहते हुए नीतीश कुमार ने वर्ष 2022 में फिर पाला बदल लिया और भाजपा का साथ छोड़ राजद के साथ नई सरकार बना ली. इस बार भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही बने रहे.
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Tags: Bihar NDA, Bihar politics, CM Nitish Kumar, Lalu Yadav News
FIRST PUBLISHED : July 07, 2023, 14:20 IST
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