पाकुड़ जिला मुख्यालय के छोटी अलिगंज स्थित चैती दुर्गा मंदिर प्रांगण में राधा स्वामी सत्संग, दयालबाग (आगरा) के बैनर तले एक दिवसीय जिला स्तरीय सत्संग का आयोजन किया गया। इस अवसर पर सैकड़ों सत्संगियों ने भाग लिया और आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। कार्यक्रम को सफल बनाने में विभिन्न शाखाओं के पदाधिकारियों और सदस्यों का सक्रिय योगदान रहा।
सत्संग में विभिन्न शाखाओं की भागीदारी
कार्यक्रम में देवघर शाखा से चार दल, गोड्डा शाखा से एक दल, और पाकुड़ शाखा से एक दल ने भाग लिया। कुल मिलाकर लगभग तीन सौ सत्संगी इस आयोजन का हिस्सा बने। इस अवसर पर राधा स्वामी सत्संग के जिला सचिव आलोक सत्संगी ने बताया कि इस तरह के सत्संग कार्यक्रम का आयोजन नियमित रूप से किया जाता है। मुख्यालय दयालबाग (आगरा) से प्राप्त दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए कार्यक्रम का संचालन किया गया।
बच्चों के लिए विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम
इस सत्संग का मुख्य उद्देश्य तीन वर्ष से बारह वर्ष तक के बच्चों को ‘संत सु कार्यक्रम’ के तहत प्रशिक्षित करना था। आलोक जी ने बताया कि इस कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के भीतर चार वर्णों—ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र के गुण विकसित करने का प्रयास किया गया। यह प्रशिक्षण उन्हें भविष्य में समाज में आध्यात्मिक और सांसारिक जीवन के बीच संतुलन स्थापित करने में मदद करेगा। साथ ही, यह उन्हें सन्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करेगा।
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मुख्यालय से प्राप्त दिशा-निर्देशों का पालन
आलोक जी ने यह भी बताया कि सत्संग कार्यक्रम के दौरान सत्संगियों को मुख्यालय से प्रसारित दिशा-निर्देशों के अनुरूप गतिविधियों में भाग लेने के लिए प्रेरित किया गया। यह सुनिश्चित किया गया कि सत्संगी न केवल आध्यात्मिक जीवन का पालन करें, बल्कि इसे अपने दैनिक जीवन में भी उतारें।
कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान
कार्यक्रम को सफल बनाने में कई पदाधिकारियों और सत्संगियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इनमें पाकुड़ सचिव धर्मवीर साहा, जसीडीह जिला सचिव गुरु प्रसाद वर्णवाल, सुनील वर्णवाल, रवि प्रसाद, मौसमी साहा, भरत राउत, जुली देवी, शिखा साहा, विशाल राउत, अरविंद साहा, और सुखदेव साहा के नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन सभी ने अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाया और कार्यक्रम को सफल बनाने में योगदान दिया।
सत्संग का आध्यात्मिक महत्व
इस तरह के सत्संग कार्यक्रमों का आयोजन आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने और समाज को सद्मार्ग पर चलने की प्रेरणा देने के लिए किया जाता है। कार्यक्रम में भाग लेने वाले सत्संगियों ने न केवल आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त किए, बल्कि अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का संकल्प भी लिया।
भविष्य में सत्संगों का आयोजन
आलोक जी ने यह भी बताया कि भविष्य में इस तरह के और अधिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इनका उद्देश्य समाज में आध्यात्मिकता का प्रचार-प्रसार करना और युवाओं को सदाचार और संस्कार सिखाना है।
इस एक दिवसीय सत्संग ने पाकुड़ में आध्यात्मिकता का एक नया संदेश दिया और लोगों को दयालबाग के मार्गदर्शन में चलने की प्रेरणा दी।