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सीवान. पटना हाई कोर्ट ने सीवान जिला प्रशासन पर अवमानना के मामले में 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है. जुर्माने की यह राशि दो महीने के भीतर जमा करनी है. यह राशि प्रधानमंत्री राहत कोष में जमा होगा. बता दें कि इससे पहले बीते मई में भी जिला पदाधिकारी सीवान और अंचल पदाधिकारी दारौंदा पर हाई कोर्ट ने 25-25 हजार रुपये का बेलेबल वारंट जारी किया था. इसके बाद सीवान जिला प्रशासन ने दारौंदा बाजार, ब्लॉक की जमीन और श्मशान की भूमि से अतिक्रमण हटाने की काम शुरू किया था.
हालांकि, अतिक्रमण हटाने में दारौंदा प्रशासन पूरी तरह सफल नहीं हो पाया तो हाई कोर्ट ने फर्जी जमाबंदी समेत दूसरी सभी समस्याओं को दूर करने और अंचल पदाधिकारी को अतिक्रमण हटाने के लिए जिला जिला पदाधिकारी को चार महीने का समय दिया है. बता दें कि पटना हाई कोर्ट ने यह आदेश गत 22 जून जारी किया है. हालांकि, इस आदेश को लेकर सीवान जिला प्रशासन की ओर से कोई भी कुछ बोलने के लिए तैयार नहीं है.
जानिए क्या है पूरा मामला
दारौंदा बाजार, प्रखंड कार्यालय और श्मशान की जमीन को बचाने के लिए स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता वीरेंद्र ठाकुर साल 2009 से सरकार का ध्यान आकृष्ट करवाते रहे हैं. लेकिन, इस पर स्थानीय प्रशासन कोई एक्शन नहीं लिया. इसके बाद स्थानीय प्रशासन से निराश होकर साल 2017 में सरकारी भूमि से अतिक्रमण हटाने के लिए लोकहित याचिका CWJC 2925/2017 पटना हाई कोर्ट में दायर की थी. इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने सभी कानूनी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए छह महीने के भीतर अतिक्रमण हटाने का आदेश प्रशासन को दिया था. अतिक्रमण हटाने के बजाए हाई कोर्ट के आदेश के बाद भी कई नए मार्केट बन गए, जिसकी जानकारी याचिकाकर्ता ने राजस्व विभाग पटना को कई बार दी. लेकिन, कोई कार्रवाई नहीं हुई.
इस बीच 2019 में कुछ अतिक्रमणकारियों ने पटना हाईकोर्ट में एक याचिका CWJC 13279/2019 दायर कर दी जिसे कोर्ट ने खारिज करते हुए अपने पूर्व के आदेश को पालन करने का आदेश दिया. मगर जिला प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश का पालन करने में रुचि ही नहीं दिखाई. इसके बाद याचिकाकर्ता वीरेंद्र ठाकुर ने कोर्ट के अवमानना का मामला MJC 3097/2019 दायर किया.
सरकारी राजस्व का लाभ निजी लोगों को
बताया जा रहा है कि बाजार की जमीन पर पटना हाईकोर्ट के आदेश को धत्ता बताते हुए कई मार्केट कॉम्पलेक्स बन गए हैं. इन कॉम्पलेक्स में तीन सरकारी बैंक हैं जिसका राजस्व सरकार को नहीं, बल्कि निजी लोगों को जाता है. कुल मिलाकर निजी मार्केट में 100 से अधिक दुकानें हैं. बाजार में एक दुकान का किराया दो हजार रुपये से ऊपर है. इसके अलावा कई लोगों ने कब्जा कर खुद के लिए दुकान बना ली. यही नहीं सरकार की जमीन को भू माफिया फर्जी तरीके से रजिस्ट्री भी करवा चुके हैं जबकि सरकारी भूमि की खरीद बिक्री नहीं हो सकता है.
नए जिलाधिकारी ने लिया संज्ञान
डीएम और अंचल पदाधिकारी के ऊपर जब 25-25 हजार रुपये का जमानतीय वारंट जारी हुआ तो जिले में नए आए जिला पदाधिकारी ने इस पर संज्ञान लिया. अंचल पदाधिकारी को हाईकोर्ट के आदेश के पालन सख्ती से करने को कहा. इसके बाद अतिक्रमण हटाने के लिए हर बार 35 सेक्शन फोर्स की मांग जिला प्रशासन से की गई मगर सबसे बड़ी बात भारी संख्या में पुलिस बल होने के बाद भी अतिक्रमण हटाने के लिेए जरूरी संसाधनों की व्यवस्था अंचल पदाधिकारी की तरफ से नहीं हो पाया. एक या दो जेसीबी के माध्यम से अतिक्रमण हटाने की खानापूर्ति कर दी गई.
याचिकाकर्ता ने कही यह बात
इस मामले पर याचिकाकर्ता ने कहा कि अतिक्रमण हटाने के नाम पर आज भी माननीय कोर्ट को अंचल पदाधिकारी के द्वारा बरगलाया जा रहा है. कुछ लोगों का अतिक्रमण आधा अधूरा हटाया गया है. इसकी जांच स्वयं जिला पदाधिकारी को करनी चाहिए क्योंकि अनुमंडल में भी अंचल पदाधिकारी के रिश्तेदार ही कार्यरत हैं. ब्लॉक की जमीन से अतिक्रमण नहीं हटाया गया. कुछ बड़े लोग हैं जिनको बचाया जा रहा है. गरीब मजदूरों को जान बूझकर टारगेट किया जा रहा है. डीएम को आवदेन दिया गया है मगर कुछ नहीं हो रहा है.
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Tags: Bihar latest news, Bihar News, Patna high court, Siwan news
FIRST PUBLISHED : June 27, 2023, 16:58 IST
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