Tuesday, November 5, 2024
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मानवाधिकार सहायता संघ के प्रदेश अध्यक्ष ने निराधार मामले में ग्रामीणों की मदद की

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पश्चिमी सिंहभूम। मानवाधिकार सहायता संघ के प्रदेश अध्यक्ष देवराज हेस्सा ने निराधार मामले में शिकार बने गाँव आमजोड़ा के 8 ग्रामीण पीड़ितों के लिए एसडीएम (सबडिविजनल मजिस्ट्रेट) व थाना प्रभारी से वार्ता की। इस घटना का जगन्नाथपुर प्रखण्ड के आमजोड़ा मौजा में हुआ था, जहाँ पूरी समुदाय को संघर्ष का सामना करना पड़ा।

जगन्नाथपुर प्रखण्ड के आमजोड़ा मौजा में बढ़ रहे तनाव: इस मामले में, सरना-इसाई का हवाला देने के चलते आठ ग्रामीणों पर 107 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। यह मामला ग्रामीण समुदाय के बीच में बड़े तनाव का कारण बन गया और इसने लोगों के जीवन में असमंजस का माहौल पैदा किया।

मानवाधिकार संघ की तरफ से ग्रामीणों के प्रति सहानुभूति और सहायता: इस संघर्ष के बीच, सैकड़ों असंतुष्ट ग्रामीणों के साथ मानवाधिकार संघ ने निर्दोष ग्रामीणों के प्रति सहानुभूति दिखाने और उनके साथ सोलिडेरिटी दिखाने का मिशन अपनाया। इस संघ की मानवाधिकार की टीम ने इन ग्रामीणों के साथ खड़े होकर उनकी समस्याओं को सुना और उनके साथ सहयोग किया।

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एसडीम के समक्ष उपस्थित हुआ प्रथम पक्ष: मौके पर, एसडीएम ने प्रथम पक्ष को फटकार लगाई और निराधार बातों को तूल न देने की हिदायत दी। उन्होंने ग्रामीणों को समझाया कि अवैध तरीके से किसी को बिना सबूत के दोषी ठहरना गलत है और इसकी बजाय वे निराधारता के मामले को सामरिक दृष्टिकोण से देखने की जरूरत है। एसडीएम ने इस घटना को समझाने और समाधान करने के लिए ग्रामीण समुदाय के साथ जुटे रहने का सुझाव दिया, जिससे एक अधिक सहमति और समझौता बन सके।

प्रशासनिक समर्थन: मौके पर जिला प्रभारी राजेश कुम्हार, जगन्नाथपुर सचिव देवेन्द्रनाथ सिंकु, हाट गम्हरिया अध्यक्ष प्रकाश हेम्ब्रम, और एसडीएम के साथ सभी प्रशासनिक अधिकारी उपस्थित थे। इन अधिकारियों ने इस मामले को सभी प्राधिकृत्यों के साथ और न्यायिक रूप से हांफलने का प्रमाण दिया। इससे संघर्ष को सुलझाने के लिए आवश्यक जानकारी और सहायता प्राप्त हो सकी।

एक सामुदायिक संघर्ष से समुदाय की एकता: इस संघर्ष के माध्यम से यह प्रमाणित हुआ कि समुदाय की एकता और गठबंधन सभी मुश्किलात को पार कर सकता है। जब लोग एक साथ आते हैं और एक लक्ष्य के लिए मिलकर काम करते हैं, तो कोई भी चुनौती हार जाती है।

उदाहरण और सिखने के दृष्टिकोण: यह घटना और उसके नतीजे से हमें यह सिखने का मौका देती है कि मानवाधिकारों की सुरक्षा और उनका पालन केवल एक व्यक्ति की जिम्मेदारी नहीं होती, बल्कि यह समुदाय के सभी सदस्यों की सहयोगिता और सामरिक दृष्टिकोण की जरूरत होती है। इस सामुदायिक संघर्ष के माध्यम से हमें यह भी याद दिलाया जाता है कि हमारे समाज में समस्याओं का समाधान व्यक्ति या व्यक्तिगत स्तर पर ही नहीं, बल्कि समुदाय के साथ मिलकर किया जा सकता है।

मानवाधिकार का महत्व: मानवाधिकार सहायता संघ के इस कार्यक्रम ने मानवाधिकारों के महत्व को भी साबित किया है। मानवाधिकार संघ ने समझाया कि मानवाधिकार एक मूलभूत अधिकार हैं और हर व्यक्ति का उनका पालन करने का अधिकार होता है। इस संघर्ष से हमें यह सिखने को मिलता है कि हमें समाज में मानवाधिकारों की सुरक्षा और उनका पालन करने की जिम्मेदारी को प्राथमिकता देनी चाहिए।

मौके पर जिला प्रभारी राजेश कुम्हार, जगन्नाथपुर सचिव देवेन्द्रनाथ सिंकु, हाट गम्हरिया अध्यक्ष प्रकाश हेम्ब्रम व सैकड़ों ग्रामीण उपस्थित रहे।

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