[ad_1]
रिपोर्ट में हैरानी जाहिर की गई है कि दो दिन पहले तक सनस्पॉट का कोई अस्तित्व नहीं था। इसने बहुत तेजी से अपना आकार बढ़ाया है। अनुमान है कि सनस्पॉट की वजह से बहुत जल्द कोरोनल मास इजेक्शन और सोलर फ्लेयर की घटनाएं हो सकती हैं।
मंगलवार को एक ट्वीट में नासा सन एंड स्पेस ने बताया है कि बीते 24 घंटों में सूर्य से 4 कोरोनल मास इजेक्शन और 1 सोलर फ्लेयर निकला है। कोरोनल मास इजेक्शन या CME, सौर प्लाज्मा के बड़े बादल होते हैं। सौर विस्फोट के बाद ये बादल अंतरिक्ष में सूर्य के मैग्नेटिक फील्ड में फैल जाते हैं। अंतरिक्ष में घूमने की वजह से इनका विस्तार होता है और अक्सर यह कई लाख मील की दूरी तक पहुंच जाते हैं। कई बार तो यह ग्रहों के मैग्नेटिक फील्ड से टकरा जाते हैं।
What’s the Sun up to right now? Here’s a view of the Sun taken today in ultraviolet light by one of NASA/NOAA’s Geostationary Operational Environmental Satellites (GOES-18). Over the past 24 hours, the Sun has produced 4 coronal mass ejections and 1 solar flare. pic.twitter.com/5KsWNjCOhS
— NASA Sun & Space (@NASASun) June 26, 2023
जब सीएमई की दिशा की पृथ्वी की ओर होती है, तो यह जियो मैग्नेटिक यानी भू-चुंबकीय गड़बड़ी पैदा कर सकते हैं। इनकी वजह से सैटेलाइट्स में शॉर्ट सर्किट हो सकता है और पावर ग्रिड पर असर पड़ सकता है। इनका असर ज्यादा होने पर ये पृथ्वी की कक्षा में मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों को भी खतरे में डाल सकते हैं।
सूर्य में उभरे सनस्पॉट की वजह उसका सौर चक्र है। 11 साल के सौर चक्र ने सूर्य को बहुत अधिक अशांत कर दिया है। यह सौर चक्र साल 2025 तक जारी रहेगा। इसकी वजह से पृथ्वी पर सौर तूफान आते रहेंगे। इनकी तीव्रता व्यापक होने पर ये हमारे सैटेलाइट्स को तबाह कर सकते हैं। अंतरिक्ष यात्रियों को खतरे में डाल सकते हैं। पृथ्वी पर इंटरनेट बाधित कर सकते हैं। पावर ग्रिडों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
नासा की सोलर डायनैमिक्स ऑब्वर्जेट्री सूर्य में हो रही गतिविधियों पर नजर रखती है। वह साल 2010 से डेटा जुटा रही है। नासा ऐसी तकनीक डेवलप कर रही है, जिससे भविष्य में 30 मिनट पहले सौर तूफानों पर अलर्ट जारी किया जा सकेगा।
[ad_2]
Source link