झामुमो कार्यालय में भावभीनी श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
पाकुड़: झारखंड आंदोलन के अग्रणी नेता और पूर्व विधायक दुर्गा सोरेन की 16वीं पुण्यतिथि के अवसर पर जिला झामुमो कार्यालय, धनुषपुजा में एक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर झामुमो कार्यकर्ताओं सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित हुए और उन्होंने नेता जी को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
जिलाध्यक्ष एजाजुल ईस्लाम ने किया माल्यार्पण
कार्यक्रम की शुरुआत झामुमो जिलाध्यक्ष एजाजुल ईस्लाम द्वारा दुर्गा सोरेन के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित कर की गई। उन्होंने कहा कि दुर्गा सोरेन झारखंड की आत्मा थे, जिन्होंने न केवल राज्य की पहचान के लिए संघर्ष किया बल्कि समाज के वंचित वर्गों के लिए भी लगातार कार्य किया। उनके विचार और योगदान आज भी समाज को नई दिशा देते हैं।
कार्यकर्ताओं ने बारी-बारी से दी श्रद्धांजलि
दुर्गा सोरेन को श्रद्धांजलि देने के लिए झामुमो कार्यकर्ता एवं पदाधिकारीगण एक-एक कर उनके चित्र पर पुष्प अर्पित करते रहे। वातावरण पूरी तरह श्रद्धा और सम्मान से भरा हुआ था। हर किसी की आंखों में उस नेता की यादें ताज़ा हो रही थीं, जिसने झारखंड की अस्मिता के लिए अपनी पूरी जिंदगी समर्पित कर दी।
दुर्गा सोरेन: एक प्रेरणास्रोत और जननेता
अपने संबोधन में एजाजुल ईस्लाम ने कहा, “दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के स्तंभ थे। वे न केवल एक राजनीतिक योद्धा थे, बल्कि एक जननेता भी थे जो सदैव गरीबों, जरूरतमंदों और वंचितों के लिए संघर्षरत रहे। उनका जीवन सादगी, ईमानदारी और जनसेवा का प्रतीक था। उनके असामयिक निधन से राज्य को जो क्षति हुई है, उसकी भरपाई असंभव है। लेकिन उनके कार्य और आदर्श हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे।”
श्रद्धांजलि सभा में कई गणमान्य लोग रहे उपस्थित
इस अवसर पर केंद्रीय सदस्य पिंकु शेख, जिला कार्यालय सचिव मिथिलेश घोष, पाकुड़ प्रखंड अध्यक्ष मुस्लेउद्दीन शेख, नगर अध्यक्ष मुकेश सिंह, उपाध्यक्ष इस्लामाइल रहमान, मोबारक हुसैन, प्रकाश सिंह, हैदर शेख, आलमगीर आलम, साफु शेख, यूसुफ खान, नजरुल ईस्लाम, रफीकुल ईस्लाम सहित कई अन्य झामुमो नेता और कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने दुर्गा सोरेन के कार्यों और विचारों को याद करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी।
विचारों और योगदानों से अमर रहेंगे दुर्गा सोरेन
दुर्गा सोरेन की 16वीं पुण्यतिथि पर आयोजित यह श्रद्धांजलि सभा इस बात का प्रतीक बनी कि एक सच्चा नेता कभी मरता नहीं, वह अपने विचारों, संघर्षों और कार्यों के माध्यम से हमेशा लोगों के दिलों में जीवित रहता है। झारखंड की माटी में उनकी संघर्षगाथा सदैव गूंजती रहेगी।