[ad_1]
खोज से जुड़ी जानकारी द एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में इसी महीने पब्लिश हुई है। दुनियाभर के करीब 190 वैज्ञानिकों की टीम बीते 15 साल से इस खोज पर काम कर रही थी। पुणे स्थित मेट्रोवेव रेडियो टेलीस्कोप (यूजीएमआरटी) का काम, ब्रह्मांड से मिलने वाले सिग्नलों को जुटाना और उनकी सटीकता को बढ़ाना था, ताकि गुरुत्वाकर्षण तरंगों की पुष्टि हो सके।
टीओआई की एक रिपोर्ट के अनुसार, माना जाता है कि गुरुत्वाकर्षण तरंगें हमारे शुरुआती ब्रह्मांड में विशालकाय ब्लैक होल के विलय से पैदा हुईं। इस खोज से वैज्ञानिकों को ब्लैक होल्स के विलय से जुड़े रहस्यों का पता लगाने में मदद मिलेगी
रिपोर्ट के अनुसार, इस खोज की शुरुआत साल 2002 में हो गई थी। साल 2016 में इसमें इंडियन पल्सर टाइमिंग ऐरे (InPTA) भी जुड़ गया। इसका मकसद भी लो फ्रीक्वेंसी वाली नैनो हर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाना है। इसके प्रयोगों में NCRA (पुणे), TIFR (मुंबई), IIT (रुड़की), IISER (भोपाल), IIT (हैदराबाद), IMSc (चेन्नई) और आरआरआई (बेंगलुरु) के साथ ही जापान की कुमामोटो यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स शामिल थे।
गुरुत्वाकर्षण तरंगों को सबसे पहले साल 1916 में अल्बर्ट आइंस्टीन ने प्रस्तावित किया था। अब जाकर इनकी लो-पिच को सुना जा सका है। गुरुत्वाकर्षण तरंगें तब पैदा होती हैं, जब ब्लैक होल्स का विलय होता है। इस खोज के बाद वैज्ञानिक ब्लैक होल्स को और गहराई से समझ पाएंगे।
[ad_2]
Source link