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धनबाद25 मिनट पहले
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एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय में आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी में मौजूद अतिथि।
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एसएसएलएनटी महिला महाविद्यालय में “भारत में समकालीन अनुसंधान प्रणाली और वर्तमान प्रतिमानों के बदलते परिदृश्य” पर दो दिवसीय अंतर विभागीय राष्ट्रीय संगोष्ठी शुक्रवार से शुरू हुई।
मुख्य अतिथि बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय धनबाद के प्रतिकुलपति डॉ पवन कुमार पोद्दार ने भारतीय शोध कार्य की गिरती गुणवत्ता और मूल्य पर कहा कि शोध कार्य में बदलाव की जरूरत है। ज्ञान का व्यवस्थित स्वरूप ही शोध है।
शोध व अविष्कार बच्चा जन्म लेने के साथ ही शुरू कर देता है। लेकिन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का प्रयोग बढ़ने से मनुष्य बुद्धि का प्रयोग कम कर रहा है। ऐसे में भविष्य में एआई पर ज्यादा निर्भरता बुद्धि के विकास को रोक देगा। एआई हमें युग के विकास क्रम की शुरुआत में पहुंचा देगा।
वर्ष 2012 के बाद मोबाइल का उपयोग और डिजिटलाइजेशन बढ़ने के साथ ही किशोरों में आत्महत्या की प्रवृत्ति बढ़ी है। शिक्षा नौकरी व कमाई के उद्देश्य से की जा रही है। 90 प्रतिशत विद्यार्थी शोध का उद्देश्य पीएचडी डिग्री और नौकरी है। इससे मानवीय मूल्य कम हुए हैं। जरूरत है कि विद्यार्थियों के बुद्धि का विकास क्रम बना रहे। शोध का उद्देश्य कुछ नया करने व समाज को कुछ देना हाे।
शोध की गुणवत्ता पर दिया गया बल
संगाेष्ठी का आयाेजन महाविद्यालय प्रबंधन और टुकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट बेंगलुरु के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है। इसमें बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा, छत्तीसगढ़ से प्राप्त कुल 116 शोध-पत्र प्रस्तुत किए गए। टुकल रिसर्च एंड डेवलपमेंट के निर्देशक डॉ केतन कुमार मिश्रा ने शोध की गुणवत्ता पर बल देते हुए गुणवत्ताहीन शोध के दुष्परिणाम पर चर्चा की। रवींद्र विश्वकर्मा ने मस्तिष्क व्यायाम करा कर शोध करने की नई दृष्टि दी।
शाेध के महत्व और उद्देश्य पर चर्चा की
मुख्य वक्ता डॉ गगनजीत सिंह ने शाेध के महत्व, उद्देश्य व बद लते हुए शोध प्रतिमान के परिदृश्य पर ऑनलाइन माध्यम से अपना विचार रखा। मंच संचालन डॉ प्रिया मधुलिका एक्का और धन्यवाद ज्ञापन विमल मिंज ने किया। माैके पर विशिष्ठ अतिथि विज्ञान संकायाध्यक्ष डॉ जेएन सिंह, प्राचार्य डाॅ शर्मिला रानी, प्रोफेसर इंचार्ज डॉ सरिता श्रीवास्तव, डॉ सुमिता तिवारी आदि मौजूद थे।
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