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जमुआएक घंटा पहले
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- दो संस्थाओं के प्रयास से गिरिडीह में बाल विवाह रुका
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जमुआ तथा इसके आस-पास के इलाके से बुधवार को ढाबे, रेस्तरां इत्यादि जगहों पर काम कर रहे पांच बच्चों को रेस्क्यू किया गया। ये बच्चे जमुआ तथा उसके आस पास के इलाके के होटलों में काम कर रहे थे। समाज कल्याण पदाधिकारी अलका हेंब्रम के निर्देश तथा वनवासी विकास आश्रम एवं कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन की पहल पर यह अभियान चलाया गया।
दरअसल जून माह एक्शन मंथ के रूप में मनाया जा रहा है। इसी निमित्त यह कार्रवाई की गई। पिछले दिनों भी जिले के अलग अलग प्रखंडों में यह कार्रवाई की गई थी तथा वहां से भी बच्चों को रेस्क्यू किया गया। अभी तक कुल 13 बच्चों को रेस्क्यू किया जा चूका है। बुधवार को रेस्क्यू टीम ने जमुआ, मिर्जागंज, खरगडीहा, चित्तरडीह तथा मेन रोड स्थित सभी होटलों एवं ढाबों का निरीक्षण किया। मुआ के मारुति होटल, ताज होटल, संगम स्वीट्स मिर्जागंज एवं बसंत बाहर होटल मांगलो मोड़ से बच्चों को रेस्क्यू किया गया। रेस्क्यू अभियान में जमुआ की पुलिस की एक टीम भी शामिल थी, जिसका नेतृत्व रवि प्रकाश पंडित कर रहे थे। बच्चों को बाल संरक्षण समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा फिर उनके पुनर्वास की प्रकिया होगी। इस अभियान का नेतृत्व विधि सह प्रोवेशन अधिकारी, जिला बाल संरक्षण इकाई के अहमद अली ने किया।
“बाल विवाह मुक्त भारत अभियान” के तहत “एक्सेस टू जास्टिस” कार्यक्रम के तहत वनवासी विकास आश्रम और कैलाश सत्यार्थी चिल्ड्रेन फाउंडेशन यूएस की ओर से एक एक 18 वर्षीय लड़के का विवाह होने से रोका गया। इसकी जानकारी वनवासी विकास आश्रम गिरिडीह के सचिव सुरेश कुमार शक्ति ने दी। कहा कि समुदाय स्तरीय सामाजिक कार्यकर्ता प्रियंका कुमारी को जानकारी मिली कि गिरिडीह सदर प्रखंड के ग्राम मनिकलालो निवासी लड़के की शादी 23 जून को बेंगाबाद की नाबालिग बच्ची के साथ तय हुई है। शादी की सभी तरह की रश्में पूरी हो चुकी है। घर पर मेहमान भी आ चुके हैं।
सूचना मिलते ही अभियान के सदस्यों ने बच्चे के घर जाकर उसका रेस्क्यू किया। लड़के और उसके अभिभावक को सीडब्ल्यूसी के समक्ष प्रस्तुत किया। लड़के के पिता ने जिला जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अल्का हेंब्रम के समक्ष हस्ताक्षर कर एक शपथ पत्र दिया। शपथ पत्र में कहा गया कि वे अपने बेटे की शादी अब 21 साल के बाद ही करेंगे। जिला समाज कल्याण पदाधिकारी के निर्देशानुसार रेस्क्यू टीम का नेतृत्व बाल विवाह निषेध पदाधिकारी ममता कुमारी समेत अन्य थे।
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