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कुंदन कुमार/गया. बिहार के गया में राज्य की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है. गांधी मैदान के उत्तरी दरवाजे के ठीक सामने आधुनिक बिहार के प्रथम पब्लिक लाइब्रेरी स्थित है. गया का डिविजनल पब्लिक लाइब्रेरी का निर्माण साल 1855 में हुआ था. तब से लेकर आजतक इस पुरानी लाइब्रेरी में एक से बढ़कर एक ऐतिहासिक धरोहर मौजूद हैं. यहां खास यह है कि इस लाइब्रेरी की पहचान पहले बिहार म्यूजियम के रूप में भी होती थी. इस लाइब्रेरी का निर्माण दान व सहयोग से बंगाल के तत्कालीन लेफ्टीनेंट फ्रेडरिक जेम्स हैलिडे ने गया के दौरे पर किया था. उस समय गया समेत पूरा बिहार, झारखंड, बंगाल प्रांत का ही भाग हुआ करता था.
फ्रांसिस हैलिडे समाज-सुधार में विश्वास रखने वाले अंग्रेज अफसर थे. उन्होंने गया आगमन को यादगार बनाने के ऐसे किसी कार्य का फैसला लिया गया, जो सैकड़ों सालों तक रहे और लोगों में ज्ञान की ज्योति को जलाई. इस प्रकार एक लाइब्रेरी के निर्माण का निर्णय लिया गया. पब्लिक लाइब्रेरी गया की स्थापना और आजादी के बाद महात्मा गांधी के पोती भी यहां आ चुकी हैं. पूर्व मुख्यमंत्री कृष्णबल्लभ सहाय और हाई कोर्ट पटना के जज सतीशचंद्र मिश्र भी आकर देखे हैं. 1986 में बिहार सरकार शिक्षा विभाग द्वारा प्रमंडलीय पुस्तकालय का दर्जा दिया गया.
विश्व के सभी देशों की वर्ल्ड हिस्ट्री की किताबें मौजूद
गया के डिविजनल लाइब्रेरी में विश्व के देशों की वर्ल्ड हिस्ट्री की किताबें मौजूद हैं. तकरीबन विश्व में जितने भी देश हैं, उनकी वर्ल्ड हिस्ट्री की किताबें यहां सुरक्षित रखी गई है. इसके अलावे साइक्लोपीडिया से जुड़ी किताबें, पुराने दौर के उपन्यास,शेक्सपियर के उपन्यास यहां हैं. यहां महापुरुषों की जीवन गाथा से जुड़ी किताबें भी मौजूद हैं. महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू से संबंधित सारे बुक हैं. इसके अलावा जिला गजेटियर व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज यहां सुरक्षित रखे गए हैं.संविधान की मूल प्रतियों में से एक प्रति यहां मौजूद है. इसे काफी सुरक्षित तरीके से बहुमूल्य दस्तावेज की तरह रखा गया है. संविधान की मूल प्रति यहां डिविजनल लाइब्रेरी की शान है.भारत के संविधान के अलावा विश्वकोश भी उपलब्ध है. पब्लिक लाइब्रेरी गया पांच बीघा छह कट्ठा जमीन में बनी है. पब्लिक लाइब्रेरी का मुख्य हाल 51 फीट और 21 फीट के एरिया में बना हुआ है. इसकी ऊंचाई लगभग 23 फीट है.
कई धरोहरों को इस लाइब्रेरी ने समेटे रखा
डिविजनल लाइब्रेरी गया के प्रभारी पंकज कुमार चौधरी बताते हैं कि यह सबसे बिहार की सबसे पुरानी लाइब्रेरी है. यहां एक से एक धरोहर आज भी मौजूद हैं. आज दो दशक बाद भी इस लाइब्रेरी का औचित्य कम नहीं हुआ है. हर साल सैकड़ों बच्चे इस लाइब्रेरी का इस्तेमाल करते हैं. विश्व में जितने भी देश हैं, उनकी वर्ल्ड हिस्ट्री की किताबें यहां सुरक्षित रखी गई है. वहीं इस लाइब्रेरी में संविधान की मूल प्रतियों में से एक रही मूल प्रति यहां भी सुरक्षित रखी गई है. इस मूल प्रति में डॉ राजेंद्र प्रसाद, पंडित जवाहरलाल नेहरू समेत अन्य के हस्ताक्षर भी हैं. इस तरह कई धरोहरों को इस लाइब्रेरी ने समेटे रखा है.
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Tags: Bihar News, Gaya news, Local18
FIRST PUBLISHED : July 05, 2023, 17:42 IST
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