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नकुल कुमार/पूर्वी चम्पारण.आपने अब तक एमबीए चायवाला, बीबीए चायवाला जैसी चाय की दुकान का नाम खूब सुना होगा. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे छाछ की दुकान के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका नाम मैकेनिकल इंजीनियर छाछवाला है. अशोक कहते हैं कि वे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किए हुए हैं. इससे वे भावनात्मक रूप से जुड़े हुए हैं. यही कारण है कि उन्होंने अपने छाछको मेकेनिकल छाछ का नाम दिया है.प्रतिदिन लगभग 200 ग्लास छाछबेच लेते हैं.
जिले के बनकटवा प्रखंड के झंझरा निवासी अशोक कुमार की कहानी भी संघर्ष भरी रही है. पढ़ाई-लिखाई एवं जॉब करने के बाद भी इनके मन में आत्मनिर्भर बनने की जिज्ञासा ने उन्हें छाछ कीदुकान खोलने के लिए प्रेरित किया. वे कहते हैं कि राजस्थान के चुरूसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा करने के बाद वे लगातार जॉब करते रहे.जॉब के दौरान सुबह से लेकर रात तक जीवन मानो मशीन सा हो गया था. यही कारण है कि वे 2016 के बाद घर आ गए और यहीं पर अपना स्टार्टअप शुरू किया.
छाछ बेचने से की नए जीवन की शुरुआत
अशोक में आत्मनिर्भर बनने की जिज्ञासा शुरू से थी लेकिन जेब में पैसा नहीं था. फिर इन्होंने घर-परिवार आदि से बगावत कर छाछ बेचने का फैसला किया. जब छाछ की दुकान चल पड़ी तो वह दुकान पर खाने का आइटम भी रखने लगे. इस काम को शुरू करने के लिए उनके एक मित्र ने सहायता की थी.अशोक बताते हैं कि वह बचपन में अपनी दादी को छाछ बनाते हुए देखते थे. घर में भी छाछ बनता था. अशोक इस काम को आसानी से बिना किसी तामझाम के कर सकते थे. इसलिए उन्होंने छाछ का कारोबार करने की ही सोची.
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FIRST PUBLISHED : July 12, 2023, 17:58 IST
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