Monday, February 17, 2025
HomePakurगुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) को लेकर जागरूकता अभियान शुरू, अफवाहों से बचने की...

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) को लेकर जागरूकता अभियान शुरू, अफवाहों से बचने की अपील

देश प्रहरी की खबरें अब Google news पर

क्लिक करें

जिले में GBS को लेकर सतर्कता बढ़ी, जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर किया गया रवाना

पाकुड़। जिले में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) को लेकर आम जनता को जागरूक करने के लिए एक विशेष जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई। शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह, उपायुक्त मनीष कुमार, पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार एवं उप विकास आयुक्त महेश कुमार संथालिया ने संयुक्त रूप से जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर सदर अस्पताल परिसर से रवाना किया। यह रथ जिले के सभी प्रखंडों में जाकर GBS बीमारी के लक्षणों, सावधानियों और उपचार के बारे में लोगों को जागरूक करेगा

GBS से घबराने की जरूरत नहीं, अफवाहों पर ध्यान न दें – उपायुक्त

उपायुक्त मनीष कुमार ने कहा कि गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) को लेकर किसी भी तरह के दहशत (पैनिक) की जरूरत नहीं है। यह बीमारी संक्रामक नहीं होती और सही समय पर इलाज मिलने पर मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक इस बीमारी का अधिकतर मामला महाराष्ट्र के पुणे में सामने आया है। झारखंड में केवल रांची जिले में एक संभावित मामला दर्ज किया गया है, जिसकी यात्रा इतिहास (ट्रैवल हिस्ट्री) महाराष्ट्र से जुड़ी हुई है। ऐसे में किसी भी तरह की अफवाहों से बचने और लोगों को सही जानकारी देने की जरूरत है

जिले में जागरूकता अभियान तेज, स्वास्थ्य केंद्रों को किया गया अलर्ट

उपायुक्त ने कहा कि जागरूकता रथ के माध्यम से जिले के सभी प्रखंडों में जाकर लोगों को GBS बीमारी के लक्षणों और उपचार के प्रति जानकारी दी जाएगी। उन्होंने सभी स्वास्थ्य केंद्रों और चिकित्सकों को अलर्ट मोड में रहने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, सिविल सर्जन को सभी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में GBS से संबंधित दवाओं का पर्याप्त भंडारण सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है

क्या है गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS)?

गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर है, जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) गलती से तंत्रिकाओं (नर्व्स) पर हमला करने लगती है। इसका असर मुख्य रूप से हाथ-पैरों और मांसपेशियों पर पड़ता है, जिससे कमजोरी और चलने-फिरने में दिक्कत होने लगती है। गंभीर मामलों में, मरीज को सांस लेने में कठिनाई भी हो सकती है।

GBS के शुरुआती लक्षण क्या हैं?

GBS की पहचान शुरुआती चरण में हो जाए तो इसका इलाज आसान हो जाता है। इसके कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं:

  • हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुई चुभने जैसा महसूस होना।
  • मांसपेशियों में कमजोरी, जो पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर फैल सकती है।

GBS के बढ़ते हुए लक्षण

अगर बीमारी की पहचान समय पर नहीं होती, तो इसके लक्षण गंभीर हो सकते हैं:

  • चलने या सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई।
  • कमजोरी, जो धीरे-धीरे हाथों, चेहरे और श्वसन मांसपेशियों तक फैल सकती है।

GBS के गंभीर मामले

कभी-कभी GBS इतना गंभीर हो सकता है कि मरीज को वेंटिलेटर तक की जरूरत पड़ सकती है। इसके गंभीर लक्षणों में शामिल हैं:

  • पूर्ण रूप से लकवा (Paralysis)।
  • सांस लेने में दिक्कत, जिसके लिए वेंटिलेटर की जरूरत हो सकती है।

क्या करें अगर GBS के लक्षण नजर आएं?

अगर किसी व्यक्ति को GBS के लक्षण महसूस होते हैं, तो उसे तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में जाकर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। जितनी जल्दी इलाज शुरू होगा, उतनी ही जल्दी रोगी के ठीक होने की संभावना बढ़ जाएगी।

सरकार और स्वास्थ्य विभाग की अपील

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सभी नागरिकों से अपील की गई है कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और जागरूक रहें। यदि किसी को GBS के लक्षण महसूस हों तो वे स्वास्थ्य केंद्रों से संपर्क करें और सही जानकारी प्राप्त करेंसही समय पर इलाज मिलने से यह बीमारी पूरी तरह ठीक हो सकती है

जिले में GBS को लेकर सतर्कता और जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक प्रयास किए जा रहे हैंजागरूकता रथ के माध्यम से सही जानकारी लोगों तक पहुंचाने की पहल की गई है। उपायुक्त और स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से अपील की है कि वे जागरूक रहें, अफवाहों से बचें और जरूरत पड़ने पर तुरंत चिकित्सा सहायता लें

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Most Popular

Recent Comments