Thursday, December 5, 2024
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प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अध्यक्षता में मध्यस्थता को लेकर अहम बैठक आयोजित

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पाकुड़
झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण (झालसा) रांची के निर्देशानुसार पाकुड़ जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष शेष नाथ सिंह की अध्यक्षता में मध्यस्थता से संबंधित एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। यह बैठक प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश के कक्ष में आयोजित हुई, जिसमें रेफरल न्यायाधीशों और मध्यस्थों ने भाग लिया।

मध्यस्थता के महत्व पर चर्चा
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने मध्यस्थता के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि मध्यस्थता विवादों को शीघ्र और सौहार्दपूर्ण तरीके से सुलझाने का एक प्रभावी माध्यम है। इस प्रक्रिया से न केवल न्यायपालिका का कार्यभार कम होता है, बल्कि पक्षकारों को भी समय और धन की बचत होती है।

दिशा-निर्देश और कार्य प्रणाली पर प्रकाश
बैठक के दौरान रेफरल जज और मध्यस्थों को मध्यस्थता प्रक्रिया को बेहतर ढंग से संचालित करने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मध्यस्थता के माध्यम से मामलों का समाधान पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ किया जाना चाहिए। उन्होंने मध्यस्थता के कार्यों की प्रणाली और इससे होने वाले लाभों पर भी प्रकाश डाला।

मध्यस्थता के लाभ
प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मध्यस्थता का उद्देश्य विवादों को समयबद्ध और शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाना है। इससे पक्षकारों के बीच आपसी समझ और सौहार्द बढ़ता है। उन्होंने मध्यस्थों से आग्रह किया कि वे मध्यस्थता प्रक्रिया में संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कार्य करें।

मौके पर न्यायिक और विधिक अधिकारी उपस्थित
बैठक में संबंधित न्यायिक पदाधिकारी, अधिवक्ता और मध्यस्थ उपस्थित थे। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने सभी प्रतिभागियों से मध्यस्थता प्रक्रिया को सफल बनाने के लिए टीम भावना के साथ कार्य करने का आह्वान किया।

संबंधित पक्षकारों को जागरूक बनाने पर जोर
बैठक के अंत में प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने कहा कि मध्यस्थता को सफल बनाने के लिए संबंधित पक्षकारों को इसके लाभों के बारे में जागरूक करना आवश्यक है। उन्होंने जोर देकर कहा कि न्यायिक अधिकारियों और मध्यस्थों को इस दिशा में सक्रियता से कार्य करना चाहिए।

यह बैठक मध्यस्थता की प्रक्रिया को मजबूत करने और इसे प्रभावी बनाने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने इसे न्यायिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग बताते हुए इसके महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने आशा व्यक्त की कि मध्यस्थता के माध्यम से अधिक से अधिक विवादों का समाधान संभव होगा।

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