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रांची22 मिनट पहले
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सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च
धनबाद के सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) में 139 करोड़ के मानदेय घोटाले में धनबाद सीबीआई ने संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ. पीके सिंह और चीफ साइंटिस्ट डॉ. एके सिंह के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की है।
इस मामले में सीबीआई को पता चला है कि पूर्व निदेशक व चीफ साइंटिस्ट की सहमति से जिनके खातों में मानदेय का भुगतान हुआ, उनमें से कुछ के खातों से भुगतान के कुछ दिनों के अंदर ही मोटी राशि की निकासी कर ली गई। अब सीबीआई जांच कर रही है कि जिन वैज्ञानिकों-कर्मियों के साथ अपात्र लोगों को मोटी रकम दी गई, आखिरकार उन्होंने क्यों पैसे निकाले और उसका कहां इस्तेमाल किया।
बता दें कि सीबीआई का आरोप है कि कोल व पावर सेक्टरों से 4 एमओयू की आड़ में दोनों पदाधिकारियों ने 304 कोल सैंपलिंग व एनालिसिस प्रोजेक्ट के जरिए हासिल फीस में से 139 करोड़ खुद के अलावा 400 से अधिक अन्य वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों-कर्मियों के साथ कुछ अपात्र लोगों के बीच भी बांट दिए।
मामले की तफ्तीश कर रही सीबीआई को कुछ अन्य क्लू भी मिले हैं, जिनसे घोटाला बड़ा हो सकता है। पता चला कि वर्ष 2016 से 2021 के बीच सिंफर की थर्ड पार्टी सैंपलिंग रिपोर्ट के बाद जिस कोयले को पावर कंपनियों को भेजा गया था, उनकी गुणवत्ता व ग्रेड को लेकर संबंधित कुछ पावर कंपनियों की आपत्तियां आई थीं। अब इसकी भी पड़ताल होगी।
ऐसे दिया गया घोटाले को अंजाम
सीबीआई के अनुसार, 28 अक्टूबर 2015 को दिल्ली में कोयला व ऊर्जा मंत्री की मौजूदगी में कोयला उत्पादक व पावर कंपनियों के बीच 4 एमओयू हुए थे, जिसमें तय हुआ था कि कोल उत्पादक व पावर कंपनियों के बीच कोयले के आदान-प्रदान के लिए थर्ड पार्टी सैंपलिंग सिंफर करेगा।
समझौते की अवधि 10 साल तय की गई, जिसे आपसी सहमति से और 5 साल बढ़ाया जा सकता था। छोटी अवधि के लिए किसी प्रकार का समझौता नहीं हुआ था। इसके बावजूद कई कोल सैंपलिंग प्रोजेक्ट के लिए समझौते की अवधि कम कर दी और कई समझौते में जोड़कर 304 कोल सैंपलिंग प्रोजेक्ट बनाए, ताकि संबंधित कंपनियों से फीस के रूप में राशि आती रहे और फिर उसे मानदेय बताकर आपस में बांटा जा सके।
आरोपी चीफ साइंटिस्ट के अधीन होती रही कोल सैंपलिंग
सिंफर के डिगवाडीह ब्रांच में रिसोर्स क्वालिटी एसेसमेंट डिवीजन स्थापित है, जिनके हेड ऑफ रिसर्च ग्रुप सह चीफ साइंटिस्ट डॉ एके सिंह हैं। इन्हीं के अधीन पावर सेक्टरों में भेजे जाने वाले कोयले की साइडिंग समेत अन्य जगहों पर सिंफर सैंपलिंग व एनालिसिस करता है। इसमें कोयले की क्वालिटी व ग्रेड का भी जिक्र होता है।
सैंपलिंग में अवधि व मैनपावर का भी उल्लेख अनिवार्य है, परंतु सीबीआई की आरंभिक जांच में स्पष्ट हुआ कि कई सैंपलिंग की अवधि व इस्तेमाल हुए मैनपावर की इंट्री नहीं की गई। ऐसे में मानदेय भुगतान के लिए संबंधित मैनपावर का चयन मनमाने अंदाज में किया गया।
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