Thursday, February 13, 2025
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आद्रा नक्षत्र में यहां खाई जाती है खीर और पुड़ी, इससे आती है किसानों के चेहरे पर मुस्कान, जानिए महत्व

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पलामू. आद्रा नक्षत्र आते हीं हर घर में खीर पुड़ी बनाया और खाया जाता है. इस दौरान लोग बड़े चाव से मिष्ठान भोजन का सेवन करते है. लोग ऋतु फल आम और जामुन के साथ आद्रा नक्षत्र का स्वागत करते हैं . इस बारे में सूर्य मंदिर के पंडित इंद्र देव पांडेय ने बताया की हमारे देश की बहुत पुरानी परंपरा है. जिसमें आद्रा नक्षत्र के स्वागत के लिए भगवान इंद्र देव को याद करने के लिए हम खीर, पुड़ी, आम और जामुन का भोग लगाकर स्वागत करते हैं. आद्रा नक्षत्र से ही कृषि कार्य शुरू होता है. आद्रा नक्षत्र के वर्षा जल से जन और जानवरों के साथ प्रकृति खिलखिला उठती है.

किसानों के चेहरे की मुस्कान लाती है आद्रा नक्षत्र

भारत देश कृषि प्रधान देश है. इस देश के अधिकांश क्षेत्रों में कृषि कार्य का शुभारंभ आद्रा नक्षत्र से प्रारंभ होता है. इस नक्षत्र के पूर्व मृगडाह नक्षत्र एवं मृगडाह से पूर्व रोहन नक्षत्र रहता है. शास्त्रीय प्रमाण के अनुसार रोहन नक्षत्र में हल्की बारिश होनी चाहिए. जिससे गोखुर में कादो लगना अच्छी वृष्टि का शुभ संकेत होता है. इसके बाद मृगडाह नक्षत्र को तपना चाहिए. इस नक्षत्र में भीषण गर्मी पडऩे से आद्रा नक्षत्र के लिए काफी अच्छा माना जाता है. इसके बाद ही आद्रा नक्षत्र में सुवृष्टि का वर्णन अतीत काल से व्यवहारिकता में चला आ रहा है.

वर्षा ऋतु के पूर्व प्रकृति में ग्रीष्म ऋतु विद्यमान रहता है. जिस ग्रीष्म ऋतु में दीरघ दाग निदाग अर्थात प्रचंड गर्मी से संपूर्ण प्रकृति जीव जंतु उलसी झुलसी रहती है. आद्रा नक्षत्र चढ़ते ही जब मुसलाधार वृष्टि होती है तो पूरी प्रकृति की ताप मिट जाती है. चहूं दिशी हरियाली छा जाती है. किसानों के चेहरे खिल उठते हैं. इसी खुशी के उपलक्ष्य में भारत देश में खीर, दाल, पूड़ी, आम, जामुन आदि विविध प्रकार के व्यंजनों के साथ इस नक्षत्र का स्वागत करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है.

इन नक्षत्र के विषय में एक खास लोकोक्ति भी है ‘आवत आदर ना दियो, जात दियो न हस्त, इतने में दोनों गए पाहुन और गृहस्थ’ इस लोकोक्ति के अनुसार लेखक ये बताना चाहते है की आद्रा नक्षत्र आते ही और हथिया नक्षत्र के जाते-जाते समय वर्षा नहीं हुई. उसी प्रकार किसी अतिथि के आने समय उनका आदर के साथ स्वागत ना किया. जाते समय विनम्रता से न विदा किया. तो समझ जाइए की किसान की मुस्कान और अतिथि आपके हाथ से दोनों गए. मतलब किसान को इस वर्ष कृषि का लाभ नहीं मिलेगा. आपके अतिथि भी आपके पास वापास नहीं आयेंगे.

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