मनरेगा दिवस का ऐतिहासिक महत्व
हर साल 2 फरवरी को मनरेगा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को विशेष रूप से मनाने का कारण यह है कि वर्ष 2006 में इसी दिन महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लागू किया गया था। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले मजदूरों को 100 दिन का रोजगार उपलब्ध कराना और उनकी आर्थिक स्थिति को मजबूत करना है।
जिले के सभी पंचायतों में विशेष रोजगार दिवस का आयोजन
इस अवसर पर जिले के 128 पंचायतों में विशेष रोजगार दिवस का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के तहत मजदूरों का जॉब कार्ड निबंधन, नवीनीकरण, कार्य की मांग और मजदूरों को सम्मानित करने का कार्य किया गया। यह आयोजन उन श्रमिकों के लिए महत्वपूर्ण रहा, जो नियमित रूप से मनरेगा के तहत काम करते हैं और सरकारी योजनाओं से लाभान्वित होते हैं।
हिरणपुर प्रखंड में मजदूरों को दिया गया सम्मान
जिले के सभी प्रखंडों में मनरेगा दिवस का आयोजन किया गया, जिसमें हिरणपुर प्रखंड भी शामिल रहा। यहां पंचायत स्तर पर विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें मजदूरों को टोकरी, कुदाल जैसे औजार देकर सम्मानित किया गया। इसके साथ ही नए जॉब कार्ड जारी करने और मौजूदा कार्डों के नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी की गई। मजदूरों को कार्य आवंटित करने के साथ-साथ उन्हें सरकारी योजनाओं की जानकारी भी दी गई।
नई योजनाओं का प्रस्ताव और क्रियान्वयन
मनरेगा दिवस के अवसर पर विभिन्न पंचायतों में नई योजनाओं के प्रस्ताव भी रखे गए। इन योजनाओं में दीदी बाड़ी योजना और बिरसा हरित ग्राम योजना प्रमुख रहीं। दीदी बाड़ी योजना के तहत महिलाओं को सब्जी उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकें। वहीं, बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में हरित क्रांति को बढ़ावा देने के लिए वृक्षारोपण और बागवानी से जुड़ी गतिविधियों को बढ़ाया जाएगा।
मजदूरों में दिखा उत्साह, सरकार की योजनाओं से लाभ की उम्मीद
इस आयोजन में भारी संख्या में मजदूरों ने भाग लिया और सरकारी योजनाओं से मिलने वाले लाभ को लेकर उत्साहित नजर आए। मनरेगा दिवस पर आयोजित इस कार्यक्रम ने न केवल मजदूरों को रोजगार और सम्मान दिया, बल्कि उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं की जानकारी भी प्रदान की, जिससे वे आने वाले समय में और अधिक लाभ उठा सकें।